पाश्चराइज्ड दूध: सुरक्षा और स्वास्थ्य के लिए एक महत्वपूर्ण प्रक्रिया
पाश्चराइजेशन एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें दूध को उच्च तापमान पर गर्म किया जाता है और फिर तेजी से ठंडा किया जाता है, जिससे हानिकारक बैक्टीरिया और वायरस नष्ट हो जाते हैं। यह प्रक्रिया दूध को लंबे समय तक ताजा रखने में मदद करती है और इसे सुरक्षित बनाती है.
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पाश्चराइजेशन की विधियाँ
- होल्डर विधि (Holder Method):
- प्रक्रिया: दूध को 144.5°F (62°C) पर आधे घंटे के लिए गर्म किया जाता है और फिर तुरंत 50°C पर ठंडा किया जाता है.
- उद्देश्य: छोटे पैमाने पर पाथोजेन्स को नष्ट करने के लिए उपयुक्त है.
- उच्च तापमान कम समय विधि (High Temperature Short Time – HTST):
- प्रक्रिया: दूध को 161°F (72°C) पर 15 सेकंड के लिए गर्म किया जाता है और फिर तुरंत 40°C पर ठंडा किया जाता है.
- उद्देश्य: यह सबसे आम विधि है जिससे दूध 2-3 हफ्ते तक ताजा रहता है।
- अत्यधिक उच्च तापमान विधि (Ultra High Temperature – UHT):
- प्रक्रिया: दूध को 275°F (135°C) पर 1-2 सेकंड के लिए गर्म किया जाता है.
- उद्देश्य: इस प्रक्रिया से दूध की शेल्फ लाइफ 9 महीने तक बढ़ जाती है।
पाश्चराइज्ड दूध के फायदे और नुकसान
फायदे:
- सुरक्षा: हानिकारक बैक्टीरिया जैसे साल्मोनेला को नष्ट करता है.
- शेल्फ लाइफ: दूध की शेल्फ लाइफ बढ़ जाती है.
नुकसान:
- पोषक तत्वों में कमी: पाश्चराइजेशन के दौरान कुछ पोषक तत्व जैसे विटामिन और मिनरल्स कम हो सकते हैं.
- सूक्ष्मजीवों की हानि: लाभकारी बैक्टीरिया भी नष्ट हो जाते हैं जो पाचन तंत्र के लिए फायदेमंद होते हैं.
पाश्चराइज्ड दूध को उबालना चाहिए या नहीं?
पाश्चराइज्ड दूध को उबालने की जरूरत नहीं होती है, क्योंकि इसमें पहले ही हीट ट्रीटमेंट दिया जा चुका होता है और बैक्टीरिया नष्ट हो जाते हैं. अतिरिक्त उबालने से दूध की शेल्फ लाइफ कम हो सकती है.
FAQ:
- पाश्चराइज्ड दूध को उबालना चाहिए या नहीं?
- पाश्चराइज्ड दूध को उबालने की जरूरत नहीं होती है, क्योंकि इसमें पहले ही हीट ट्रीटमेंट दिया जा चुका होता है और बैक्टीरिया नष्ट हो जाते हैं.
- पाश्चराइजेशन के दौरान कौन से बैक्टीरिया नष्ट होते हैं?
- पाश्चराइजेशन के दौरान हानिकारक बैक्टीरिया जैसे साल्मोनेला और लाभकारी बैक्टीरिया भी नष्ट हो जाते हैं.
- पाश्चराइज्ड दूध की शेल्फ लाइफ कितनी होती है?
- पाश्चराइज्ड दूध की शेल्फ लाइफ HTST विधि से 2-3 हफ्ते और UHT विधि से 9 महीने तक हो सकती है.