राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020: त्रिभाषा सूत्र पर विवाद
राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में त्रिभाषा सूत्र को लेकर दक्षिण भारतीय राज्यों खासकर तमिलनाडु में विवाद छिड़ा हुआ है। इस नीति में छात्रों को तीन भाषाएं सीखने की सलाह दी गई है, जिनमें से कम से कम दो भारतीय मूल की होनी चाहिए और तीसरी अंतरराष्ट्रीय भाषा हो सकती है.
त्रिभाषा सूत्र की विवेचना:
- पहली भाषा: मातृभाषा या क्षेत्रीय भाषा।
- दूसरी भाषा: हिंदी भाषी राज्यों में अन्य आधुनिक भारतीय भाषा या अंग्रेज़ी, गैर-हिंदी भाषी राज्यों में हिंदी या अंग्रेज़ी।
- तीसरी भाषा: हिंदी भाषी राज्यों में अंग्रेज़ी या एक आधुनिक भारतीय भाषा, गैर-हिंदी भाषी राज्य में अंग्रेज़ी या एक आधुनिक भारतीय भाषा.
विवाद का कारण:
तमिलनाडु और अन्य दक्षिण भारतीय राज्यों का आरोप है कि इस नीति के माध्यम से हिंदी थोपी जा रही है और शिक्षा का संस्कृतिकरण किया जा रहा है. हालांकि, केंद्र सरकार का कहना है कि यह नीति बहुभाषीयता और राष्ट्रीय एकता को बढ़ावा देने के लिए है और इसमें कोई भाषा थोपी नहीं जा रही है.
FAQs:
- त्रिभाषा सूत्र क्या है?
- त्रिभाषा सूत्र में छात्रों को तीन भाषाएं सीखने की सलाह दी गई है, जिनमें से दो भारतीय मूल की और तीसरी अंतरराष्ट्रीय भाषा हो सकती है।
- तमिलनाडु में इसका विरोध क्यों हो रहा है?
- तमिलनाडु में इसका विरोध इसलिए हो रहा है क्योंकि उन्हें लगता है कि इससे हिंदी थोपी जा रही है और शिक्षा का संस्कृतिकरण किया जा रहा है।
- क्या हिंदी अनिवार्य है?
- राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में हिंदी को अनिवार्य नहीं किया गया है, बल्कि राज्यों को अपनी पसंद की भाषाएं चुनने की छूट दी गई है.