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क्या दिमाग से सोचकर टाइप कर सकेंगे? Meta की AI टेक्नोलॉजी जो बना सकती है यह संभव
Meta (पहले Facebook) ने 2017 में एक ब्रेन-टाइपिंग तकनीक पेश की, जो आपके विचारों को सीधे स्क्रीन पर टाइप कर सकती है। यह टेक्नोलॉजी neuroscience और AI को मिलाकर काम करती है, जिससे बिना कीबोर्ड या स्पीच के संवाद संभव हो सकता है।
कैसे काम करती है यह टेक्नोलॉजी?
- MEG मशीन: यह मस्तिष्क के मैग्नेटिक सिग्नल्स को पकड़कर AI के जरिए टेक्स्ट में बदलती है। MIT Technology Review के अनुसार, यह मशीन 500 KG वजनी और ₹16 करोड़ तक कीमती है।
- AI मॉडल: Meta के शोधकर्ता Jean-Remi King की टीम ने एक AI सिस्टम विकसित किया है जो ब्रेन सिग्नल्स को शब्दों में ट्रांसलेट करता है।
- सटीकता: यह टेक्नोलॉजी अभी प्रयोगशाला तक सीमित है और इसे इस्तेमाल करने के लिए व्यक्ति को पूरी तरह स्थिर बैठना पड़ता है।
क्यों नहीं है यह आम लोगों के लिए उपलब्ध?
- लागत: MEG मशीन की ऊंची कीमत और आकार इसे घरेलू उपयोग के लिए अव्यावहारिक बनाते हैं।
- सीमाएं: थोड़ी सी हलचल भी डेटा को गड़बड़ कर सकती है, इसलिए यह टेक्नोलॉजी अभी रिसर्च स्टेज में है।
- फोकस: Meta का लक्ष्य इसे प्रोडक्ट बनाने के बजाय ब्रेन की भाषा प्रोसेसिंग को समझना है।
भविष्य की संभावनाएं
यदि यह टेक्नोलॉजी सस्ती और पोर्टेबल हो जाए, तो यह लकवाग्रस्त मरीजों या वॉयस डिसऑर्डर वालों के लिए गेम-चेंजर साबित हो सकती है। साथ ही, यह human-AI इंटरैक्शन के तरीके को पूरी तरह बदल देगी।
FAQs
- क्या यह टेक्नोलॉजी अगले 5 साल में उपलब्ध होगी?
नहीं, यह अभी रिसर्च फेज में है और व्यावसायिक रूप से लॉन्च होने में एक दशक तक लग सकता है। - क्या यह टेक्नोलॉजी सुरक्षित है?
हां, MEG मशीन नॉन-इनवेसिव तरीके से ब्रेन सिग्नल्स को रिकॉर्ड करती है, जिससे स्वास्थ्य को कोई खतरा नहीं है। - क्या यह Neuralink से अलग है?
हां, Neuralink ब्रेन में चिप इम्प्लांट करता है, जबकि Meta की टेक्नोलॉजी बाहरी डिवाइस से काम करती है।